🔸 दिसंबर 2025 से 60 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों को ₹2000 मासिक पेंशन, बच्चों को निजी स्कूल में मुफ्त शिक्षा
📍 फतुहा, पटना | दिनांक: 04 जुलाई 2025
✍️ रिपोर्ट: सच तक पब्लिक न्यूज रंजीत प्रजापति
बिहार में बदलाव की हुंकार, न लालू, न नीतीश, न मोदी – इस बार वोट अपने बच्चों के भविष्य के लिए दें: प्रशांत किशोर
जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को पटना के फतुहा प्रखंड में आयोजित "बिहार बदलाव सभा" को संबोधित करते हुए कई बड़े वादे किए और राज्य की राजनीति को नई दिशा देने का संदेश दिया। हजारों की संख्या में जुटी भीड़ के बीच उन्होंने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि दिसंबर 2025 से बिहार में 60 साल से अधिक उम्र के सभी पुरुष और महिलाओं को ₹2000 मासिक पेंशन दी जाएगी।
उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी एक क्रांतिकारी घोषणा की। प्रशांत किशोर ने कहा,
"15 साल से कम उम्र के बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाने की सुविधा दी जाएगी और उनकी फीस सरकार वहन करेगी, जब तक सरकारी स्कूलों की हालत में सुधार नहीं हो जाता।"
🔴 मोदी जी वोट लेते हैं बिहार से, फैक्ट्री लगाते हैं गुजरात में
प्रशांत किशोर ने अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा,
"मोदी जी बिहार के लोगों से वोट लेकर गुजरात में फैक्ट्री लगाते हैं। परिणामस्वरूप बिहार के युवा मजदूरी के लिए गुजरात और अन्य राज्यों की ओर पलायन करने को मजबूर हैं। जब वोट आपका है तो फैक्ट्री बिहार में लगनी चाहिए या गुजरात में?"
उन्होंने सिवान का उदाहरण देते हुए कहा कि इस साल छठ पूजा के बाद कोई युवा मजबूरी में पलायन नहीं करेगा, यह जन सुराज की जिम्मेदारी होगी।
🔁 बदलाव के लिए वोट दें, नेताओं के चेहरे नहीं, बच्चों के भविष्य को देखिए
प्रशांत किशोर ने जनता से अपील की कि अगली बार वोट डालते समय लालू, नीतीश या मोदी का चेहरा नहीं, बल्कि अपने बच्चों के चेहरे को देखें। उन्होंने कहा:
"जो नेता आपको और आपके बच्चों को लूटते आए हैं, उन्हें इस बार वोट मत दीजिए। अब समय है जनता का राज स्थापित करने का।"
🗣️ नीतीश कुमार को कहा ‘बाय-बाय’, PK बोले – मोदी जी भी वोट मांगे तो मत देना
सभा के अंत में प्रशांत किशोर ने लोगों से सवाल किया – क्या नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री बनाना चाहिए? हजारों लोगों ने हाथ उठाकर एक सुर में कहा – बाय-बाय नीतीश!
इस पर PK ने कहा,
"अगर इस बार मोदी जी भी नीतीश चाचा के लिए वोट मांगने आएं, तब भी उन्हें वोट मत देना। अब बिहार को नेता नहीं, बदलाव चाहिए।"
🔚 निष्कर्ष:
फतुहा की सभा में उमड़ी भीड़ और लोगों की प्रतिक्रियाओं ने एक बात स्पष्ट कर दी – बिहार बदलाव की दहलीज पर खड़ा है, और प्रशांत किशोर ने जनता से सीधे जुड़कर एक नई राजनीतिक चेतना का बीजारोपण कर दिया है।




