बिक्रम दतियाना में श्रीरामकथा के पाँचवे दिन छोटे बापू ने दिया जीवन संदेश, परमात्मा का नाम लेने से जीवन का अंधकार दूर हो जाता है: छोटे बापू
संवाददाता:-सच तक पब्लिक न्यूज़ रंजीत प्रजापति
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बिक्रम (पटना): “मनुष्य की पहचान शरीर से नहीं बल्कि कर्मों से होती है। परमात्मा का नाम लेने से जीवन का सारा अंधकार और दुःख दूर हो जाता है।” यह प्रेरक बातें मिथिला वाटिका से पधारे कथावाचक श्री छोटे बापूजी ने कहीं। वे बिक्रम प्रखंड के दतियाना गांव में शारदीय नवरात्रि के अवसर पर आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय श्रीरामकथा के दौरान श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि शरीर नश्वर है और आत्मा अमर। गोस्वामी तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस में श्रीराम जन्म से पूर्व महादेव और मां पार्वती के विवाह की कथा का वर्णन है। महादेव ने सती के शरीर का त्याग किया था, आत्मा का नहीं। वही आत्मा पार्वती के रूप में पुनः अवतरित हुई और महादेव के साथ उनका विवाह हुआ।
छोटे बापूजी ने कहा कि मां पार्वती श्रद्धा स्वरूपा हैं और भोलेनाथ विश्वास के स्वरूप। श्रद्धा और विश्वास के इस मांगलिक मिलन से ही श्रीराम का प्राकट्य संभव हुआ। उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि जिसे राम और कृष्ण की उपासना करनी है, उसे पहले शिव-पार्वती की आराधना करनी चाहिए।
कथावाचन के पाँचवे दिन भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर छोटे बापूजी के मधुर भजनों और बधाइयों पर श्रद्धालु भावविभोर होकर झूम उठे और वातावरण भक्तिरस से सराबोर हो गया।
उन्होंने कहा कि माता-पिता, गुरु, सत्संग और प्रवचन ऐसे स्थल हैं जहां बिना निमंत्रण के भी जाना चाहिए, क्योंकि वहीं से जीवन में सच्चा मार्गदर्शन मिलता है। उन्होंने यह भी कहा कि भगवान अपने भक्तों से सच्चा प्रेम करते हैं और उन्हें दुखों से उबारते हैं।
आयोजक मंडली और दतियाना ग्रामवासियों ने बाहर से आए अतिथियों का स्वागत-सत्कार किया। कथा के समापन पर आरती की गई और प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।

