बिहार बजट के खिलाफ भाकपा (माले) का प्रतिवाद मार्च – धनरूआ में कामरेड निरंजन वर्मा समेत कई नेता हुए शामिल
पटना/धनरूआ:कामरेड निरंजन वर्मा बिहार के धनरूआ प्रखंड में भाकपा (माले) के एक जुझारू और समर्पित नेता हैं। वे लंबे समय से गरीबों, मजदूरों, किसानों और हाशिए पर खड़े समुदायों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनकी राजनीति समाज के सबसे कमजोर तबकों की आवाज बुलंद करने और सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष करने पर केंद्रित है कामरेड निरंजन वर्मा मजदूरों, किसानों, सफाईकर्मियों, आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, जीविका दीदियों, रसोइयों, डाटा ऑपरेटरों और प्रतिलिपि सहायकों के अधिकारों की मांग को लेकर लगातार संघर्षरत रहते हैं वे सरकार से न्यूनतम मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा और पेंशन में वृद्धि की मांग उठाते रहते हैं। बिहार बजट के खिलाफ प्रतिवाद मार्च (6 मार्च 2025) उन्होंने धनरूआ में भाकपा (माले) के प्रतिवाद मार्च और नुक्कड़ सभा में भाग लिया, जहां बिहार सरकार के बजट में गरीबों और किसानों के साथ हुए अन्याय की आलोचना की गई। सभा में उन्होंने कहा कि पिछले 20 वर्षों से विधवा, वृद्ध और विकलांग पेंशनधारियों को मात्र ₹400 मिल रहे हैं, जो उनके लिए अपर्याप्त है। उन्होंने इस राशि में वृद्धि की मांग की। बिहार सरकार द्वारा संघर्षरत समूहों की अनदेखी के खिलाफ आवाज उठाई। भाकपा (माले) संगठन में योगदान निरंजन वर्मा संगठन के विभिन्न आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और गांव-गांव में पार्टी को मजबूत करने में जुटे रहते हैं। उन्होंने धनरूआ क्षेत्र में सामाजिक न्याय और वर्ग संघर्ष को धार देने के लिए कई जनांदोलनों का नेतृत्व किया। वे अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर सरकार की मजदूर-विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन संगठित करते रहते हैं।
- कामरेड निरंजन वर्मा भूमिहीनों, दलितों, पिछड़ों और गरीब तबकों के अधिकारों की आवाज बुलंद करने वाले संघर्षशील नेता हैं।
- वे हमेशा बेरोजगारों, गरीब किसानों और वंचित तबकों के लिए रोजगार, सामाजिक सुरक्षा और बुनियादी सुविधाओं की मांग करते हैं।
- बिहार में शोषित वर्गों के संघर्ष को धार देने के लिए भाकपा (माले) के अन्य नेताओं के साथ मिलकर आंदोलनों को संगठित करते हैं।कामरेड निरंजन वर्मा एक जननेता हैं, जो धनरूआ क्षेत्र में भाकपा (माले) के आंदोलन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। वे गरीबों, मजदूरों और किसानों की आवाज बनकर सरकार से उनके हक की मांग कर रहे हैं और जनता के संघर्षों को आगे बढ़ा रहे हैं।

