मसौढ़ी अनुमंडल अस्पताल में एंबुलेंस व्यवस्था की दुर्दशा खराब मरीज परेशान प्राण संकट में
मसौढ़ी अनुमंडल अस्पताल की स्थिति इन दिनों बेहद चिंताजनक बनी हुई है। स्वास्थ्य सेवा के नाम पर यहां मरीजों की जान संकट में पड़ रही है। अस्पताल की एंबुलेंस सेवा का हाल यह है कि उसे चलाने के लिए पहले ठेलना (धक्का लगाना) पड़ता है, यानी एंबुलेंस इतनी खराब हालत में है कि वह खुद से स्टार्ट तक नहीं हो पाती।
अस्पताल में उपलब्ध एंबुलेंस इस हद तक जर्जर हो चुकी है कि उसमें टेक्निकल खराबी लगातार बनी रहती है।
मरीज को अस्पताल से रेफर करने या इमरजेंसी में ले जाने के लिए पहले गाड़ी को धक्का देकर स्टार्ट किया जाता है।
यह प्रक्रिया न सिर्फ समय बर्बाद करती है, बल्कि मरीज की हालत और बिगाड़ सकती है।
अगर एंबुलेंस रास्ते में बंद हो जाए, तो उसमें बैठे मरीज की हालत गंभीर हो सकती है, और समय पर इलाज न मिलने के कारण उसकी जान भी जा सकती है।
खासकर गर्भवती महिलाएं, हार्ट पेशेंट्स और दुर्घटना के शिकार लोगों के लिए यह स्थिति बेहद खतरनाक साबित हो सकती है।
प्रशासनिक लापरवाही:
यह स्थिति दर्शाती है कि अस्पताल प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कितने गैरजिम्मेदार हैं।
समय रहते एंबुलेंस की मरम्मत नहीं कराई जाती, न ही नई एंबुलेंस की व्यवस्था की जाती है।
यदि एंबुलेंस की खराबी के कारण किसी मरीज की जान चली जाए, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
अस्पताल प्रशासन?
जिला स्वास्थ्य विभाग?
या सरकार?
यह एक महत्वपूर्ण सवाल है, क्योंकि यह सिर्फ एक तकनीकी समस्या नहीं, बल्कि जन स्वास्थ्य और मानव जीवन से जुड़ा हुआ मुद्दा है।
समाधान की आवश्यकता:
- तत्काल प्रभाव से एंबुलेंस की मरम्मत या नई एंबुलेंस की व्यवस्था की जाए।
- प्रत्येक अनुमंडल अस्पताल में कम से कम दो चालू स्थिति में एंबुलेंस सुनिश्चित की जाए।
- जवाबदेही तय हो—जिस अधिकारी के तहत यह लापरवाही हुई है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
- स्थानीय मीडिया और जन प्रतिनिधियों को इस विषय पर सक्रिय होना चाहिए ताकि दबाव बने और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हो।
मसौढ़ी अनुमंडल अस्पताल में ठेलकर एंबुलेंस चलाना सिर्फ एक शर्मनाक दृश्य नहीं, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य तंत्र की असफलता का प्रतीक है। यह व्यवस्था मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ है, और यदि तुरंत कदम नहीं उठाए गए, तो यह एक दिन किसी बड़े हादसे की वजह बन सकती है



जल्द से जल्द उस एंबुलेंस का मरम्मत किया जाए या फिर नई एंबुलेंस की व्यवस्था की जाए और जिसकी लापरवाही अभी तक दिख रही है उसके उपर कार्रवाई होनी चाहिए जब तक मीडिया दिखाएगा नहीं जब तक मरम्मत नहीं होगी यह कहां की व्यवस्था है किसी दिन किसी मरीज का जान लेकर रहेगी ऐसी लापरवाही रहि तो
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