महंगी बिजली और गरीब जनता पर विचार गोष्ठी, RJD प्रवक्ता ने उठाए सरकार की ऊर्जा नीति पर सवाल
📍 पटना, 27 जुलाई 2025 —
🖊 रिपोर्ट: सच तक पब्लिक न्यूज रंजीत प्रजापति भगवानगंज
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो. सुबोध मेहता के नेतृत्व में रविवार को कांटी फैक्ट्री रोड स्थित सुगीया संगम वाटिका सभागार में "महंगी बिजली और गरीब जनता" विषयक एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी में राज्य की ऊर्जा नीति, गरीब जनता की समस्याएं और प्रीपेड स्मार्ट मीटर जैसे ज्वलंत मुद्दों पर गंभीर चर्चा हुई।
कार्यक्रम की शुरुआत में संयोजक प्रो. सुबोध मेहता ने सभी अतिथियों का पारंपरिक अंगवस्त्र से स्वागत करते हुए विषय प्रवेश कराया। उन्होंने कहा कि नीति आयोग के अनुसार, बिहार की 51.92% आबादी आज भी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है। इसके बावजूद राज्य सरकार द्वारा देश में सबसे महंगी बिजली दरों में से एक दर वसूली जाती है, जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 और सेंट्रल इलेक्ट्रिक अथॉरिटी (CEA) के मानकों के विरुद्ध है।
प्रो. मेहता ने कहा कि CEA मानकों के अनुसार, उपभोक्ताओं को 24 घंटे निर्बाध विद्युत आपूर्ति सरकार की जवाबदेही है। यदि किसी कारणवश बिजली आपूर्ति बाधित होती है या वोल्टेज कम रहता है, तो उपभोक्ताओं को उनके स्वीकृत लोड के अनुपात में उस समय की विद्युत शुल्क में छूट मिलनी चाहिए।
🗣 सांसद सुधाकर सिंह ने उठाई ‘एक राष्ट्र, एक बिजली दर’ की मांग
गोष्ठी के मुख्य वक्ता, बक्सर से सांसद माननीय सुधाकर सिंह ने "एक राष्ट्र, एक बिजली दर" की वकालत करते हुए राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, "किसानों को 24x7 सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए, लेकिन बिहार सरकार की ऊर्जा नीति किसान और गरीब विरोधी है।"
🗣 पूर्व मंत्री आलोक मेहता ने शासन प्रणाली पर उठाए सवाल
राजद नेता और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री श्री आलोक मेहता ने कहा कि राज्य सरकार के पास गरीबों और आम जनता के लिए कोई स्पष्ट ऊर्जा नीति नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि "बिहार की मौजूदा ऊर्जा नीति जनहित के बजाय मुनाफे की ओर केंद्रित है, जो कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के विरुद्ध है।"
🗣 ऊर्जा विशेषज्ञों ने औद्योगिक बिजली दरों पर जताई चिंता
ऊर्जा विशेषज्ञ अमरनाथ सिंह, प्रो. अवनींद्र नाथ ठाकुर और राजद के प्रदेश महासचिव शाश्वत गौतम ने कहा कि बिहार में पड़ोसी राज्यों की तुलना में औद्योगिक बिजली दरें अधिक हैं। इसका नतीजा है कि औद्योगिक बिजली की खपत 18% से घटकर 12% हो गई है, जिससे उत्पादन और रोजगार दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
🗣 प्रदीप मेहता ने स्मार्ट मीटर को बताया जनविरोधी
राजद के प्रदेश महासचिव एवं जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष प्रदीप मेहता ने मंच से मांग की कि “इंडिया गठबंधन को अपने आगामी चुनावी घोषणापत्र में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने पर रोक लगाने का वादा करना चाहिए।” उन्होंने कहा कि यह मीटर न केवल साइबर ठगी को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि 20,000 मीटर रीडर भी बेरोजगारी की कगार पर पहुंच चुके हैं।
👉 सभी प्रमुख वक्ताओं ने सर्वसम्मति से आश्वासन दिया कि इंडिया गठबंधन यदि सत्ता में आता है, तो स्मार्ट प्रीपेड मीटर को बंद करने की नीति को घोषणापत्र में शामिल करेगा।