बिहार बना सामाजिक सम्मान की मिसाल, नीतीश सरकार ने रचा इतिहास दलित हितों की असली संरक्षक है जदयू सरकार: विपक्ष को जदयू की खुली चुनौती

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दलित स्वाभिमान और सशक्तिकरण के प्रतीक हैं नीतीश कुमार: जद (यू)

बिहार में सामाजिक न्याय को धरातल पर उतारने वाले पहले नेता – जदयू प्रवक्ताओं का दावा

📍 पटना, 27 जुलाई 2025

🖊 रिपोर्ट: सच तक पब्लिक न्यूज़ रंजीत प्रजापति


जनता दल (यूनाइटेड) ने मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को दलित स्वाभिमान और सामाजिक सशक्तिकरण का वास्तविक प्रतीक बताया है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री मनीष यादव और मीडिया पैनलिस्ट श्री महेश दास ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि "नीतीश कुमार ने सामाजिक न्याय को केवल नारों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे व्यवहारिक धरातल पर उतारकर नया इतिहास रचा है।"

उन्होंने कहा कि बिहार देश का एकमात्र राज्य है जहां दलित समुदाय के बुजुर्गों को राष्ट्रीय ध्वज फहराने का गौरव मिलता है। यह कोई प्रतीकात्मक परंपरा नहीं, बल्कि सामाजिक समता का जीवंत उदाहरण है। इस ऐतिहासिक आयोजन के समय मुख्यमंत्री स्वयं मुख्य सचिव, डीजीपी और अन्य उच्चाधिकारी मौजूद रहते हैं, और प्रखंड स्तर तक के अधिकारी दलित बुजुर्ग को सैल्यूट करते हैं। यह दृश्य बताता है कि बिहार में सामाजिक सम्मान अब व्यवहार में उतर चुका है।


🟠 दलित प्रतिनिधित्व को मिली मजबूती
प्रवक्ताओं ने बताया कि नीतीश सरकार ने पंचायत राज व्यवस्था में दलित समुदाय को समुचित प्रतिनिधित्व देने के लिए आरक्षण की व्यवस्था की। जिला परिषद अध्यक्ष को एक पीए स्तर के अधिकारी सचिव के रूप में मिलता है, जबकि प्रखंड स्तर पर बीडीओ सचिव की भूमिका निभाते हैं। यह प्रशासनिक ढांचा दलित नेतृत्व को मजबूत बनाता है और जमीनी स्तर पर निर्णय प्रक्रिया में उनकी भागीदारी को सुनिश्चित करता है।

🟠 दशरथ मांझी को मिला ऐतिहासिक सम्मान
नीतीश सरकार द्वारा 'माउंटन मैन' दशरथ मांझी को राज्य स्तरीय सम्मान देने और उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाकर "सम्मान, संघर्ष और सामाजिक श्रम" को जो महत्व दिया गया, वह अभूतपूर्व है। प्रवक्ताओं ने बताया कि अब मांझी जी की पुण्यतिथि 17 अगस्त को राजकीय मेले के रूप में मनाया जाता है। यह न केवल प्रतीकात्मक सम्मान है, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में ठोस पहल है।


🟠 राष्ट्रपति कोविंद के समर्थन से दिखी प्रतिबद्धता
प्रवक्ताओं ने याद दिलाया कि जब श्री रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया, तब श्री नीतीश कुमार ने राजनीतिक लाभ-हानि की चिंता किए बिना उनका समर्थन किया। उन्होंने हमेशा सामाजिक न्याय को प्राथमिकता दी और डॉ. अंबेडकर, गांधी, कर्पूरी ठाकुर, लोहिया और रामविलास पासवान के सपनों को धरातल पर उतारने का प्रयास किया।

🟠 थारु बेटियों के लिए बनाई गई बिहार स्वाभिमान बटालियन
जदयू प्रवक्ताओं ने बताया कि मुख्यमंत्री ने अनुसूचित जनजाति की थारु बेटियों को सुरक्षा बल में भर्ती कर "बिहार स्वाभिमान बटालियन" की स्थापना की, जिससे वे आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी बन सकें। इस पहल ने सामाजिक समावेश को नई दिशा दी है।


🟠 विपक्ष को चुनौती: बताएं दलितों के लिए क्या किया?
बयान में आरजेडी पर सीधा हमला करते हुए कहा गया कि उनके शासनकाल में दलित समाज को केवल उपेक्षा और अपमान मिला। प्रवक्ताओं ने चुनौती दी कि "विपक्ष यह बताए कि उनके कार्यकाल में दलित कल्याण के लिए क्या ठोस कदम उठाए गए?" वहीं नीतीश सरकार ने दलित गांवों तक बिजली पहुंचाकर शिक्षा, सुरक्षा और रोजगार के रास्ते खोले।

🔴 कथनी और करनी में अंतर स्पष्ट – जदयू
जदयू प्रवक्ताओं ने कहा कि "नीतीश कुमार का नेतृत्व दलितों के पसीने को भी सम्मान देने वाला नेतृत्व है।" वे सिर्फ घोषणाएं नहीं करते, उन्हें लागू भी करते हैं। वहीं विपक्ष के पास केवल भाषण हैं, धरातल पर योजनाएं नहीं।




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