समस्तीचक अस्पताल में लापरवाही चरम पर, ना डॉक्टर, ना दवा, ना डिलीवरी सुविधा,अस्पताल बना शोपीस, डॉक्टरों की हाजिरी सिर्फ कागजों पर

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 पटना / मसौढ़ी गवानगंज के समस्तीचक अस्पताल में लापरवाही चरम पर, डॉक्टर हफ्ते में दो दिन और दवा महीना में हजार की भी नहीं

📍 समस्तीचक, मसौढ़ी प्रखंड | दिनांक: 29 जुलाई 2025

रिपोर्टर:सच तक पब्लिक न्यूज रंजीत प्रजापति

मसौढ़ी अनुमंडल के भगवानगंज पंचायत स्थित समस्तीचक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) में स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह से रस्म अदायगी बनकर रह गई है। यहां डॉक्टर सप्ताह में मुश्किल से एक-दो दिन ही आते हैं, वह भी दोपहर 12:00 बजे के बाद और दोपहर 3:00 बजे तक अस्पताल बंद कर दिया जाता है। जबकि सरकारी नियमों के अनुसार अस्पताल का समय सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक निर्धारित है।


स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि अस्पताल में 3:00 बजे के बाद ताला लटका दिखाई देता है और कोई भी डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मी मौजूद नहीं रहता। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि इस लापरवाही पर ना तो स्थानीय प्रशासन की कोई नजर है, ना ही किसी जनप्रतिनिधि — विधायक, सांसद या स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की।

हाजिरी और सैलरी का खेल

स्थानीय लोगों ने सवाल उठाया है कि जब डॉक्टर आते ही नहीं, तो उनकी उपस्थिति (अटेंडेंस) कैसे दर्ज होती है? हर महीने लाखों रुपये की दवाइयां इस अस्पताल के नाम पर जारी होती हैं, लेकिन मरीजों को न तो दवा मिलती है और न ही कोई चिकित्सा सुविधा। ग्रामीणों के अनुसार, महीना में बमुश्किल 1000 रुपये की दवा भी दी जाती है — वह भी कभी-कभार।

एंबुलेंस अस्पताल के नाम पर, सेवा मसौढ़ी में!

और भी हैरानी की बात यह है कि समस्तीचक अस्पताल के नाम से जारी सरकारी एंबुलेंस मसौढ़ी में निजी कार्यों में इस्तेमाल हो रहा है, जबकि यहां अस्पताल परिसर में मरीजों को कोई सेवा नहीं मिल रही है। स्थानीय जनता पूछ रही है कि जब अस्पताल में डिलीवरी समेत कई सेवाओं की सुविधा है, तो उन्हें चालू क्यों नहीं किया जा रहा?

डिलीवरी सुविधा भी बंद, डॉक्टर नहीं करना चाहते हैं काम

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि अस्पताल में प्रसव की सुविधा भी सिर्फ कागजों पर है। डॉक्टर और स्टाफ जानबूझकर डिलीवरी सेवा चालू नहीं करना चाहते क्योंकि इससे उन्हें नियमित रूप से उपस्थित रहना पड़ेगा, दवाइयां देनी होंगी और पूरी जिम्मेदारी लेनी होगी।

प्रशासन मौन, जनता परेशान

स्थानीय लोग प्रशासनिक उदासीनता से बेहद नाराज़ हैं। न कोई जांच होती है, न ही किसी प्रकार की कार्रवाई। जनता यह जानना चाहती है कि जब सुविधा नहीं दी जा रही, डॉक्टर आते नहीं, दवा मिलती नहीं, तो आखिरकार इतने बड़े पैमाने पर बजट और संसाधन कहां जा रहे हैं?

जनता की मांग

  1. अस्पताल में नियमित डॉक्टर की नियुक्ति हो।
  2. अस्पताल समय पर खुले और स्टाफ की हाजिरी सार्वजनिक हो।
  3. प्रसव सुविधा को शीघ्र चालू किया जाए।
  4. दवा वितरण की पारदर्शी व्यवस्था हो।
  5. एंबुलेंस को अस्पताल परिसर में उपलब्ध कराया जाए।

📣 यदि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो ग्रामीण आंदोलन करने को मजबूर होंगे।


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