📰 ग्लासगो में बही भारत की आध्यात्मिक धारा — श्रावण रस महोत्सव में आचार्य जोशी की दिव्य उपस्थिति
📍 ग्लासगो, यूके (स्कॉटलैंड) |
संवाददाता:-सच तक पब्लिक न्यूज़ रंजीत प्रजापति
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ग्लासगो, यूके (स्कॉटलैंड) विदेश की धरती पर भी भारत की संस्कृति की सुगंध फैलाने वाला एक भव्य आयोजन इस शनिवार को स्कॉटलैंड के मदर अर्थ हिंदू मंदिर (न्यूटनमर्न) में संपन्न हुआ। सनातन संस्कृति सभा द्वारा आयोजित “श्रावण रस महोत्सव” ने सावन की भक्ति, रक्षाबंधन के स्नेह और भारतीय लोक रंगों को एक सूत्र में पिरो दिया। इस आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उत्सव के केंद्र में रहे प्रख्यात ज्योतिषविद् व भागवताचार्य डॉ. अभिषेक जोशी, जिनकी प्रेरणादायी उपस्थिति ने कार्यक्रम को भावनाओं और भक्ति से सराबोर कर दिया।
🔹 वैदिक मंत्रों के साथ हुआ शुभारंभ
कार्यक्रम का प्रारंभ आचार्य जोशी के पावन मंत्रोच्चार से हुआ। वेदों की पवित्र ध्वनि से वातावरण गूंज उठा, मानो ग्लासगो में गंगा की पावन धारा बह रही हो। इसके बाद राजस्थानी शैली में भगवान गणेश की आराधना ने श्रद्धालुओं को भारत की आध्यात्मिक धरती पर पहुँचा दिया। एक पदाधिकारी ने भावुक होकर कहा— “आचार्य जी की आध्यात्मिक छाया ने इस उत्सव को केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक तीर्थयात्रा बना दिया।”
🔹 रंग-बिरंगे सांस्कृतिक कार्यक्रम
दिव्या जोशी और ड्रीमैटिक इवेंट्स के सहयोग से मंच पर राजस्थानी लोक नृत्यों की अद्भुत प्रस्तुति हुई। घूमर की थिरकन और घुंघरुओं की झनकार ने स्कॉटलैंड को क्षणभर के लिए राजस्थान में बदल दिया। श्रावण माह पर केंद्रित कविता प्रदर्शनी ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
भारतीय समुदाय के सदस्यों ने पारंपरिक वेशभूषा में जीवंत प्रस्तुतियां दीं, जिन्हें देख दर्शकों की तालियाँ थमती नहीं थीं। बच्चों के लिए फन गेम्स और फोटो बूथ ने उत्सव में और भी रंग भर दिए।
🔹 दाल-बाटी की सुगंध और मातृभूमि का स्वाद
राजस्थानी व्यंजनों की सुगंध ने कार्यक्रम में प्रेम और अपनापन घोल दिया। योगेंद्र सिंह राठौर (जयप्रयोग स्वाद) द्वारा तैयार दाल-बाटी चूरमा, गट्टे की सब्जी और मिर्ची के टापोरे ने प्रवासियों को अपने गाँव-घर की याद दिला दी। पर्यावरण-हितैषी प्लेटों में परोसा गया यह भोजन उत्सव की संपूर्णता का प्रतीक बना।
🔹 गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति
राजनीतिज्ञ एवं शिक्षाविद प्रो. ध्रुव कुमार, मंजुलिका जी MBE, और समाजसेवी सूर्यवीर सिंह समेत कई गणमान्य लोग इस आयोजन में उपस्थित रहे।
🔹 300 से अधिक प्रवासियों की सहभागिता
इस ऐतिहासिक आयोजन में स्कॉटलैंड भर से 300 से अधिक भारतीय प्रवासियों ने भाग लिया। एक श्रद्धालु ने भावुक स्वर में कहा— “ऐसा लगा जैसे ग्लासगो के बीचोंबीच भारत का एक टुकड़ा उतर आया हो। आचार्य जी की उपस्थिति, लोक नृत्य, भोजन और अपनों का साथ—सबने हमारे बंधन को और गहरा कर दिया।”
🔹 सांस्कृतिक पहचान का जीवंत प्रमाण
सनातन संस्कृति सभा का यह प्रयास इस बात का जीवंत प्रमाण है कि विदेशी धरती पर भी भारतीय संस्कृति की जड़ें गहरी और अटूट हैं। यह महोत्सव केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि प्रवासी भारतीयों के लिए मिलन का वह क्षण था, जिसमें भारत की आत्मा सजीव हो उठी।

