बिक्रम में जन आक्रोश मार्च, स्थानीय नेता को टिकट देने की मांग हुई तेज
संवाददाता : सच तक पब्लिक न्यूज़ रंजीत प्रजापति
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पटना। बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही टिकट बंटवारे को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इसी क्रम में रविवार को बिक्रम विधानसभा क्षेत्र में स्थानीय नेता को टिकट देने की मांग को लेकर सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने जन आक्रोश मार्च निकाला। इस मार्च का नेतृत्व समाजसेवी ई. बल्ली यादव ने किया।
मार्च की शुरुआत असपुरा स्थित हनुमान मंदिर से पूजा-अर्चना के साथ हुई, जो बाजार के विभिन्न चौक-चौराहों से होते हुए शहीद चौक पहुंची। वहां शहीद स्मारक पर माल्यार्पण के बाद यह मार्च एक सभा में तब्दील हो गया।
सभा की अध्यक्षता एवं संचालन कांग्रेस नेता मंटू शर्मा ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन संयोजक ई. बल्ली यादव ने दिया।
सभा को संबोधित करते हुए ई. बल्ली यादव ने कहा कि विगत 20 वर्षों से बिक्रम लगातार पिछड़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्व मंत्री खदेरन सिंह और पूर्व विधायक रामनाथ यादव के दौर में जो विकास कार्य शुरू हुए थे, वे आज भी अधर में हैं। बिक्रम को अब स्थानीय नेतृत्व की सख्त जरूरत है।
राजद नेता ई. राघवेंद्र कुमार ने कहा कि बिक्रम के आसपास के क्षेत्र तेजी से विकास कर रहे हैं, लेकिन यहां स्थानीय नेतृत्व की कमी के कारण जनता पीछे छूट गई है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक रूप से समृद्ध माने जाने वाला बिक्रम आज अपनी विरासत खो रहा है।
अपने अध्यक्षीय भाषण में कांग्रेस नेता मंटू शर्मा ने कहा कि दशकों से बिक्रम के स्थानीय नेताओं को गठबंधन दलों के शीर्ष नेतृत्व द्वारा नजरअंदाज किया गया है। यही कारण है कि बिक्रम की स्थिति पहले से भी खराब हो गई है। उन्होंने कहा कि जब स्थानीय नेताओं ने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था, तब बिक्रम विकास की राह पर था, लेकिन बाहरी नेताओं ने केवल ठगने का काम किया है।
सभा को कृष्ण कुमार अकेला, राजेश भारती, पंचायत समिति सदस्य संजय राम, जनपारा सरपंचपति टूनटून सिंह, जीरा यादव, सियाशरण सिंह और बंधु यादव सहित कई नेताओं ने संबोधित किया। सभी वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि बिक्रम की जनता अब केवल स्थानीय प्रतिनिधि को ही स्वीकार करेगी और बाहरी नेताओं का कड़ा विरोध किया जाएगा।
सभा और मार्च के दौरान स्थानीय कार्यकर्ताओं व ग्रामीणों ने जोरदार नारे लगाए—
- “बाहरी लोग बाहर जाओ, बिक्रम क्षेत्र हमारा है”
- “हमें अपना प्रतिनिधि चाहिए”
सभा में मौजूद सैकड़ों कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों ने साफ कर दिया कि इस बार चुनाव में बिक्रम केवल स्थानीय नेतृत्व को ही स्वीकार करेगा।

