राजद कार्यकर्ता उज्जवल यादव का भावनात्मक बयान — “त्याग और निष्ठा को दरकिनार कर टिकट बाँटने वाली राजनीति से आहत हूँ”

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राजद कार्यकर्ता उज्जवल यादव का भावनात्मक बयान — “हम जैसे सिपाहियों की निष्ठा पर सवाल, पार्टी ने समर्पित कार्यकर्ताओं को किया नजरअंदाज़”

संवाददाता: रंजीत प्रजापति
स्थान: विक्रम / पटना


पटना (संवाददाता):
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सिपाही प्रकोष्ठ से जुड़े निष्ठावान कार्यकर्ता उज्जवल यादव ने एक भावनात्मक बयान जारी किया है। उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर समर्पित कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का गंभीर आरोप लगाया है। उज्जवल यादव ने कहा कि पार्टी ने टिकट वितरण में उन लोगों को तरजीह दी है, जिन्होंने कभी “लालू यादव ज़िंदाबाद” तक नहीं कहा, न ही राजद की विचारधारा से जुड़े रहे।

उज्जवल यादव ने कहा —

“मैं आपका भाई, आपका बेटा — उज्जवल यादव, सिपाही प्रकोष्ठ, राष्ट्रीय जनता दल। आज बहुत दुखी मन से कहना पड़ रहा है कि जिस तरह से हम जैसे निष्ठावान कार्यकर्ताओं की मेहनत और त्याग को नजरअंदाज़ कर, पार्टी ने एक ऐसे व्यक्ति को टिकट दे दिया जो न कभी राजद की विचारधारा से जुड़ा रहा और न ही लालू जी के नाम पर आवाज उठाई — यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।”

उन्होंने आगे कहा कि यदि कल बिहार में बीजेपी सरकार बनाने में कुछ वोटों की कमी रह जाएगी, तो जो सबसे पहले पलटी मारेगा, वही व्यक्ति होगा — अनिल शर्मा।

उज्जवल यादव ने तेजस्वी यादव से सीधा सवाल किया —

“तेजस्वी भैया, आपने कहा था — हर समर्पित कार्यकर्ता को मौका मिलेगा, लेकिन आज जो हो रहा है, वह उस वादे के विपरीत है। अगर यही हाल रहा, तो मुख्यमंत्री बनना तो दूर, एक सरपंच की कुर्सी तक पहुँचना भी मुश्किल होगा।”

उन्होंने भावुक होकर कहा कि पार्टी ने ऐसे कार्यकर्ताओं को अपमानित किया है, जिन्होंने अपना सब कुछ समर्पित कर दिया।

“जिस माँ ने अपने बेटे को तेजस्वी के सिपाही बनाकर भेजा, जिसने अपने घर का सब कुछ बेचकर राजद के लिए झंडा उठाया, वही माँ आज रो रही है कि — जिस बेटे को मैंने तेजस्वी के हवाले किया था, उसी को उसकी पार्टी ने ठुकरा दिया।

यादव के इस बयान के बाद स्थानीय राजद कार्यकर्ताओं में नाराजगी और असंतोष देखा जा रहा है। कई कार्यकर्ताओं ने टिकट वितरण की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं और इसे “त्याग और समर्पण की अनदेखी” बताया है।


स्थानीय राजनीति में हलचल:
राजद के इस आंतरिक असंतोष ने विक्रम और आस-पास के क्षेत्रों में राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। पार्टी के कई पुराने कार्यकर्ता अब भविष्य की रणनीति पर विचार कर रहे हैं। वहीं, विपक्षी दल इस असंतोष को अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश में हैं।


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