अटल साहित्यकार सम्मान समारोह में विद्वानों का हुआ सम्मान, कवि आरसी प्रसाद सिंह को दी गई श्रद्धांजलि

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 "अटल जी ने रखी थी श्रेष्ठ भारत की नींव" — मंगल पांडेय

📍 पटना, 19 अगस्त | 

संवाददाता रिपोर्ट:-8780914917

संपर्क सूत्र:-8780914917

पटना: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, प्रखर वक्ता, कवि और भारत माता के सच्चे सपूत अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित “अटल साहित्यकार सम्मान” समारोह भव्य रूप से संपन्न हुआ। इस अवसर पर मंच पर मौजूद वक्ताओं ने अटल जी के साहित्य, राजनीति और उनके राष्ट्रदृष्टिकोण पर अपने विचार रखे और दर्जनों विद्वानों को सम्मानित किया गया।


मंगल पांडेय बोले — "अटल जी ने ही श्रेष्ठ भारत की नींव रखी"


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि “भारत को आत्मनिर्भर बनाने का विचार सबसे पहले अटल जी ने ही रखा था। उन्होंने भारत को विश्वगुरु बनाने का सपना देखा और उसकी नींव रखी। उनकी चतुर्भुज योजना ने देश को एक सूत्र में पिरोने का कार्य किया। पोखरण का परमाणु परीक्षण उनकी अदम्य साहस और दृढ़ निश्चय का परिचायक है। वे शांति और शौर्य के अद्वितीय प्रतीक थे।”


"सागर की गहराई जैसा है अटल का साहित्य" — दिलीप जायसवाल


इससे पहले समारोह का उद्घाटन करते हुए बिहार भाजपा अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने कहा कि अटल जी का साहित्य चर्चा का विषय नहीं बल्कि सागर की गहराई है। वे कवि-साहित्यकार तो थे ही, लेकिन राष्ट्र के लिए अविवाहित रहकर उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। “वे पूरे देश को अपना परिवार मानते थे। 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना को उन्होंने न केवल जिया बल्कि राष्ट्र की आत्मा में बसाया।”


"राजनीति में नहीं होते तो महाकवि कहलाते" — डॉ. अनिल सुलभ


साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने अपने अध्यक्षीय उद्गार में कहा कि अटल जी राष्ट्र और राष्ट्रभाषा के प्रति समर्पित एक गौरव-पुरुष थे। “यदि वे राजनीति में नहीं होते तो निःसंदेह हिन्दी साहित्य के महाकवियों में गिने जाते। उनकी वक्तृता ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू तक को प्रभावित किया था। नेहरू जी ने उन्हें प्रधानमंत्री बनने का आशीर्वाद भी दिया था।”

उन्होंने यह भी कहा कि सम्मेलन का यह सम्मान समारोह अटल जी की स्मृति को यज्ञशाला की तरह पवित्र बना रहा है। इसी क्रम में छायावादोत्तर युग के महान कवि आरसी प्रसाद सिंह को भी श्रद्धापूर्वक स्मरण किया गया।


अनेक साहित्यकारों को मिला 'अटल साहित्यकार सम्मान'


समारोह में डॉ. जंग बहादुर पांडेय, डॉ. पूनम आनंद, आराधना प्रसाद, डॉ. प्रतिभा रानी, डॉ. पुष्पा जमुआर, विभारानी श्रीवास्तव, डॉ. एम.के. मधु, शंकर कैमूरी, डॉ. पंकज वासिनी, डॉ. मेहता नगेंद्र सिंह, अरविंद कुमार सिंह, डॉ. अर्चना त्रिपाठी, पं. गणेश झा, डॉ. शालिनी पांडेय, श्रीकांत व्यास, प्रेमलता सिंह, प्रीति सुमन, ब्रह्मानंद पांडेय, सुजाता मिश्र, सिंधु कुमारी, पंकज प्रियम, डॉ. सुषमा कुमारी, कृष्ण रंजन सिंह, अश्विनी कुमार, शशि भूषण कुमार, प्रवीर कुमार पंकज, संगीता मिश्र सहित दर्जनों विद्वानों एवं विदुषियों को ‘अटल साहित्यकार सम्मान’ से विभूषित किया गया।


मंच संचालन और धन्यवाद-ज्ञापन


इस अवसर पर संस्थान के अध्यक्ष डॉ. विनोद शर्मा, डॉ. संजय कुमार, पूर्व वन अधिकारी अनिल शर्मा, राजेश भटकु, शशिकांत ओझा, भानु प्रताप सिंह, नरेश महतो, संगीता सिंह तथा अशोक पाठक ने भी अपने विचार प्रकट किए।

मंच का संचालन रीता शर्मा ने किया तथा धन्यवाद-ज्ञापन जनार्दन शर्मा ‘जोगी’ द्वारा किया गया।



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